में भाबी और भाई का नौकर

Monday 22 January 2018

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम मनी है और में पंजाब का रहने वाला हूँ antarvasna antarvassna Indian Sex Kamukta Chudai Hindi Sex Stories मेरी उम्र 20 साल है। दोस्तों.. मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में इस साईट पर काफी समय से सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। में इस साईट का बहुत बड़ा फेन हूँ। आज में जो कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ.. वो मेरे भैया और भाभी की है जो कि मेरे मामाजी के लड़के हैं। यह बात आज से लगभग दो साल पहले की है। में अपनी गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा जी के घर गया था। वहाँ पर मामाजी, मामी और भैया, भाभी रहते है।


भाभी के बारे में क्या बताऊँ? में तो शुरू से ही उनके साथ सेक्स करना चाहता था.. क्या फिगर है भाभी का? एकदम सेक्सी, पतली कमर, गदराया हुआ बदन.. उनकी हाईट 5.7 इंच है और उनके बड़े बड़े बूब्स का साइज़ 36 है और उनकी गांड 34 इंच की होगी और मुझे भाभी की गांड सबसे प्यारी लगती थी और भाभी भी अपने शरीर की बहुत देख रेख करती थी.. मुझे भाभी का शरीर एकदम सेक्सी लगता था।


दोस्तों.. अब में सीधे स्टोरी पर आता हूँ.. एक दिन में भाभी के रूम में बैठा टीवी देख रहा था और भाभी नहा रही थी और मेरी मामीजी ऊपर वाले कमरे में बैठी थी। तभी टीवी देखते देखते मेरी नज़र भाभी के सेंडल पर पड़ी और में सीधा ज़मीन पर लेटकर भाभी के सेंडल और हील्स के तलवे चाटने लग गया और में उनको सूंघ रहा था सच में मुझे बाड़ा मज़ा आया और करीब 10-15 मिनट तक में तलवे ही चाटता रहा और मुझे यह भी पता नहीं चला की भाभी कब नहाकर रूम में आ गई और उन्होंने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया.. तो वो ज़ोर से चिल्लाई कि क्या कर रहे हो? में बहुत डर गया और में एक दो मिनट तक कुछ नहीं बोला तो भाभी ने फिर से बोला कि कुछ बोलोगे या नहीं?


में चुप रहा और फिर भाभी ने कहा की रूको में मम्मा को बताती हूँ। यह सुनकर में रोने लग गया और मैंने भाभी के पैर पकड़ लिए। फिर उनसे सॉरी कहने लगा.. लेकिन भाभी मेरी एक भी नहीं सुन रही थी। मैंने भाभी के पैर नहीं छोड़े तो कुछ देर बाद भाभी ने बोला कि चलो कोई बात नहीं में किसी को कुछ नहीं बताती.. लेकिन जो में कहूंगी वो तुम्हें करना होगा? मैंने एकदम से हाँ कर दी। भाभी ने कहा कि तुम यह तलवे अच्छी तरह से चाटो और इन पर जो भी गंदगी लगी है उसे भी साफ करो।


तभी में भाभी के मुहं की तरफ देखने लगा तो उन्होंने मुझे इशारा किया और बोला कि जो मैंने कहा वो जल्दी से करो। मैंने कहा कि ठीक है और में अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था.. क्योंकि में अपनी भाभी का नौकर बन रहा था और वो मेरी मालकिन। मैंने सेंडल चाटकर साफ कर दिए तो भाभी ने कहा कि में अपनी अंडरवियर में जमीन पर लेट जाऊ। तो में लेट गया और भाभी ने अपनी सॅंडल पहनी और मेरे ऊपर खड़ी हो गई और मेरे खड़े लंड को अपने पैरों से मसलने लगी.. उस टाईम मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी और में सिर्फ़ आहाह्ह्ह अहाह्ह्ह कर रहा था। फिर भाभी ने कहा कि खड़े हो कर मेरे पैर चाटो.. तो में अच्छी तरह से उनके पैर चाटने लगा और अब मेरी हिम्मत भी थोड़ी थोड़ी बढ़ रही थी। मैंने भाभी को कहा कि क्या में आपकी चूत भी चाट सकता हूँ? उन्होंने कहा कि कुत्ते कमीने क्या तू अपनी भाभी से ऐसे बात करेगा? तो मैंने फिर से सॉरी कहा..


तभी उन्होंने कहा कि आजा में तुझे चटवाती हूँ.. तू अब नीचे लेट जा। तो में नीचे जमीन पर लेट गया.. भाभी ने अपनी सलवार और पेंटी को नीचे सरकाया.. वाह क्या नज़ारा था? गोरी मोटी मोटी जांघे और उन पर एक भी बाल नहीं था। में तो जैसे जन्नत के नज़ारे ले रहा था और उनकी चूत पानी से गीली हो चुकी थी और चूत पर हल्के हल्के बाल थे। भाभी अभी मेरे सामने नंगी खड़ी थी.. में भाभी से कहने लगा कि भाभी प्लीज़ मुझे अपनी चूत टेस्ट करने दो.. तो उन्होंने बोला कि कुत्ते और भीख माँग में तुझे इतनी आसानी से चूत चाटने को नहीं दूंगी.. फिर में और भीख माँगने लगा.. उनके पैर चाटने लगा तो भाभी ने कहा कि चल ठीक है और फिर भाभी सीधे मेरे मुहं पर आ कर बैठ गई और चूत की जगह उन्होंने अपनी गांड मेरे मुहं पर रख दी.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और में चाटने लग गया और भाभी आवाज़े निकालने लगी उफफफफफ्फ़ कुत्ते अच्छी तरह से चाट आहा हम्म अहहाा चाट और ज़ोर से चाट.. मैंने भी अपनी जीभ उनकी गांड के छेद में डाल दी और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा.. वो अब सातवें आसमान पर थी।


वो मुझे बहुत गालियाँ दे रही थी और अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। 15 मिनट चाटने के बाद वो झड़ गई और अपना सारा पानी मेरे ऊपर गिरा दिया मैंने उनका सारा पानी पी लिया और फिर वो बोली कि चल कुत्ते आज के लिए बहुत हुआ और आज रात को 11 बजे मेरे रूम में आ जाना। मैंने कहा कि रात को तो रूम पर भैया भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा की तू टेंशन मत ले.. मैंने तुझसे जितना कहा है उतना कर। मैंने कहा कि ठीक है और भाभी की चूत को चाट चाटकर अच्छी तरह से साफ करके बाहर आ गया। फिर में बड़ी बेसब्री से रात के होने का इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही रात के 11 बजे में उनके रूम में गया और जैसे ही मैंने रूम का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से भाभी की आवाज आई कि अंदर चले आओ.. दरवाजा खुला है। मैंने दरवाजा खोला और जैसे ही अंदर जाकर देखा तो भाभी बेड पर लेटी हुई थी और भैया, भाभी की चूत को कुत्ते की तरह अपनी जीभ से चाट रहे थे।


फिर में रूम से बाहर आने लगा.. तो भाभी ने बोला कि अबे कुत्ते कहाँ चला? इधर आ जा तो में बहुत दंग रह गया और फिर भैया मुझे देखकर हंस रहे थे और में उनके पास गया और भैया, भाभी को देखने लगा। फिर भाभी बोली कि कुत्ते क्या वहाँ पर खड़ा ही रहेगा या कुछ काम भी करेगा? तो मैंने कहा कि जी हाँ.. जो आप कहो तो उन्होंने कहा कि चल अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार। में भैया के कारण थोड़ा शरमा रहा था तो भैया ने भी बोला कि चल कोई बात नहीं उतार दे और जैसा तेरी भाभी बोल रही है.. तू वैसे ही कर और देख आज तुझे हम कैसे मज़े देते है। तभी में यह बात सुनकर दंग रह गया और अपने कपड़े उतार कर एक साईड पर खड़ा हो गया तो भाभी ने मेरा खड़ा लंड देखा.. लंड पूरा तनकर खड़ा था। भाभी ने भैया से बोला कि देखो तुमसे बड़ा लंड तो इसका है..


तो भैया ने बोला कि देर किस बात की है ले लो इसका भी लंड और दिखा दो इसको भी अपने नज़ारे। में उनकी यह बात सुनकर हैरान रह गया और वो दोंनो ऐसे बोलते हुए हंसने लगे। फिर भाभी ने कहा कि ठीक है.. लेकिन इतनी जल्दी नहीं और उन्होंने मुझसे कहा कि में भैया की गांड को चाटू। मैंने उनसे साफ मना कर दिया तो भाभी ने सीधे मेरी गांड पर ज़ोर से एक लात मारी और मुझे गलियाँ देने लगी। तभी में अपने आप को बिल्कुल मजबूर महसूस कर रहा था। मैंने कहा कि ठीक है और फिर में अपने भैया की गांड चाटने लगा और धीरे धीरे भैया भी अपनी गांड उठा उठाकर चटवा रहे थे और फिर कुछ समय बाद मुझे भी मज़ा आने लगा। तभी भाभी ने कहा कि उन्हें मेरा लंड टेस्ट करना है.. तो हम 69 पोज़िशन में आ गये में भाभी की चूत चाट रहा था और भाभी मेरा लंड और भैया बीच बीच में कभी भाभी के बूब्स चूस रहे थे।


जैसे ही भाभी ने लंड मुहं में डाला वाह वो क्या अहसास था और वो लंड को काट भी रही थी.. तो मेरी चीख निकल रही थी और फिर 5 मिनट के बाद में झड़ गया और भाभी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया और फिर से मेरा लंड मुहं में डालकर चूसने लगी जैसे ही लंड फिर से खड़ा हुआ उन्होंने कहा कि चल अब यह लंड मेरी चूत में डाल। मैंने कहा कि ठीक है और मैंने एक झटका मारा और अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया। तभी भाभी बहुत ज़ोर से चिल्लाई और बोली कि हरामी थोड़ा आराम से कर.. क्या मुझे मार ही देगा? तू रुक तुझे तो में अभी बताती हूँ और भाभी ने भैया को कहा कि वो अपना लंड मेरे मुहं में डाल दे।


मैंने अपना मुहं खोलने से मना कर दिया.. लेकिन भाभी और भैया ने ज़बरदस्ती मेरे मुहं में लंड डाल दिया और भाभी मेरे लंड पर ऊपर नीचे उछल रही थी और भैया ने मेरे सर के बालों को पकड़कर पूरा लंड मेरे मुहं में अंदर तक डाल दिया.. जिससे मेरी साँसे रुक गई.. लेकिन कुछ टाईम बाद जाकर थोड़ा आराम हुआ और भैया का लंड अभी में अच्छी तरह से चूस रहा था और उधर भाभी अपने जलवे दिखा रही थी।


फिर जैसे ही लंड अंदर जाकर चूत की दीवार से टकराता तो भाभी लंड को अंदर ही जकड़ लेती भाभी बहुत बड़ी चुदक्कड़ है.. भाभी आवाज़े निकाल रही थी और मुझे गलियाँ भी दे रही थी। मैंने भाभी का ऐसा रूप पहली बार देखा था वो बोल रही थी और ज़ोर से चोद कुत्ते हरामी मदारचोद भोसड़ा बना दे मेरी चूत का और में उनको फुल स्पीड से चोद रहा था। उधर भैया ने 5 मिनट के बाद सारा वीर्य मेरे मुहं में डाल दिया.. तो मुझे बहुत गंदा लगा।


में जैसे ही थूकने लगा तो भाभी ने मुझे किस करना शुरू कर दिया और बड़े ही आराम से सारा वीर्य मुझे पिला दिया.. लेकिन मुझे उस टाईम बहुत अच्छा लगा और फिर हम दोनों ने 5 मिनट तक किस किया और उधर मेरा भी वीर्य निकलने वाला था और भाभी भी दो बार झड़ गई थी। मैंने भाभी को पूछा कि कहाँ गिराऊँ? तो उन्होंने बोला कि मेरी चूत के अंदर ही डाल दे.. तो में अपना सारा वीर्य उनकी चूत के अंदर ही डाल दिया और भैया हम दोनों को देखकर अपना लंड मसल रहे थे।


फिर भाभी जैसे ही उठी तो बोली कि चल अब मेरी चूत चाट चाटकर साफ कर में पहली बार अपना ही वीर्य टेस्ट कर रहा था। क्या चूत थी भाभी की एकदम मस्त और में चाट ही रहा था की पीछे से भैया ने अपना लंड मेरी गांड पर रख दिया और जैसे ही उनके लंड का टोपा मेरी गांड के अंदर गया तो मेरी चीख निकल गई.. तो भाभी ने मेरे मुहं पर हाथ रख दिया और मेरी आँखो से आंसू भी निकल गये। लेकिन वो दोंनो नहीं हटे और मेरी गांड मारते गये और कुछ टाईम बाद भाभी मेरे नीचे आ गई और मेरा लंड चूसने लगी और जैसे ही मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया तो भाभी ने फिर से उसे अपनी चूत में डाल लिया और अब मुझमें बिल्कुल भी जान नहीं थी। जो भी कर रही थी वो भाभी ही कर रही थी वो अपनी गांड को उठा उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत में आगे पीछे करने लगी।


उधर भैया ने करीब 15 मिनट तक मेरी गांड मारी और अपना सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया और भाभी अभी भी चूत में लंड अंदर बाहर कर रही थी। फिर कुछ देर बाद में भी झड़ गया.. लेकिन भाभी ने लंड को अपनी चूत से बाहर नहीं निकलने दिया और अंदर ही रहने दिया और जब मेरा सारा वीर्य भाभी की चूत के अंदर चला गया और लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर अपने आप ही बाहर निकलने लगा।


तभी भैया आकर भाभी की चूत चाटने लगे और कुछ टाईम बाद भाभी खड़ी हुई और मेरे मुहं पर सूसू कर दिया में उनका सारा पेशाब पी गया। दोस्तों वो बहुत नमकीन था.. लेकिन मेरी चुदाई बहुत हॉट और स्वीट थी। फिर उस रात के बाद मैंने, भैया और भाभी ने लगातार तीन चार दिन तक सेक्स किया। फिर जब मुझे दिन में मौका मिलता तो में भाभी के कमरे में चला जाता और उनकी चूत चाटता और चुदाई भी करता.. उनके बूब्स चूसता और रात को हम तीनों एक साथ सेक्स करते थे। में जब तक वहाँ पर रहा हमारी चुदाई लगातार चलती रही भैया और भाभी ने मुझे चुदाई करना और गांड मरवाना सिखा दिया था.. वो मेरे काम से खुश थे और में उनके काम से।


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चित्रा मावशी, IIT आणि Diwali

Saturday 20 January 2018

माझी गोष्ट आहे माझी आणि माझ्या मावशीची. कसा मला एक चान्स मिळाला आणि मी तिला झवलो. मला आहेत 2 मावशी आणि 3 मामा. माझी आई सर्वात शेवट. त्यामुळे सर्वांची लाडकी. आता मेन पॉइण्ट वर येतो. माझा झवण्याचा प्रसंग झाला चित्रा मावशी संगे. मी बारवीत तेव्हा झाला हा प्रसंग.
चित्रा मावशी एक 44-45 वर्षाची बाई . फिगर एक नंबर. आंब्यासारके स्त्न, कलिंगड सरकी गांड आणि जबरदस्त कंबर. तिला 3 मुले. रंग रूपाने ती होती सावळी पण सुबक व नक्षीदार चेहरा. मला कधी तिचे आकर्षण नव्हते किवा तिचा मनात विचार पण नव्हता. पण एक रात्री तिच्या संघे झोपलो आणि मला माझ्या सेक्स ची जाणीव झाली. हा सगळा प्रकार दिवलीच्या भावभीज च्या रात्री झाला.
बारावी असल्या मुळे मी अभ्यासात गर्ग होतो. त्यात इईट ची त्यारी. पूर्वी IITची एग्ज़ॅम दोन स्टेज मध्ये होयची. सक्रीनिंग आणि मेन एग्ज़ॅम. त्यामुळे मी खूप स्ट्रेस मध्ये अस्यचो. सक्रीनिंग पुढच्या आटवड्यात असल्या मुळे दिवाळीचे भान नव्हते. पुस्तक आणि मी, हेच माझे जग.
आई ने सकाळी सांगितले की ममच्या घरी भवबीज ला जाणे आहे. दर वर्षी प्रमाणे सगळे मामा आणि मावशी आणि भावंडे राजू ममच्या घरी जमले. रंगत सोहळा सुरू झाला. सगळे खुश होतेय, फराळ आणि जेवण जोरात चालू होतेय. अभ्यासमुळे मी उशिरा आलो. तो पर्यंत जेवण झाले होतेय सगळयांचे. मी पण जेवण केले. उशीर झाल्यामुळे सगळ्यांनी मुक्काम कार्याचे प्लान केले.
गप्पा मध्ये रात्र रंगली. नंतर झोपचे वेळ झाले. मामा चा फ्लॅट छोटा होता. बेडरूम आणि हॉल फुल्ल झाले. चित्रा मावशीने हॉल आणि बेडरूमची मधली लॉबी मध्ये तिचे अंतरून टाकले. हॉल फुल्ल असल्या मुळे मामी ने मला मावशी जवळ झोपवले. बरेच मंडळी असल्या मुळे तिने आम्हाला सिंगल रझई दिली. आणि अड्जस्ट कर्यला सांगितले.
चित्रा मावशी संगे लहांपणी तिच्या खुशीत झोपलो होतो, पण ते दिवस वेगळे होतेय. मी दमल्यामुळे मला झोपयाचे होते. मी भिंतीला लागून झोपलो आणि मला डोळा लागला. तोड्या वेळाने मावशी भाजूला झोपली. भिंतीला लागून असल्यामुळे मला माझे हालचालीला स्कोप नव्हता. तोडी थंडी असल्यामुळे आणि सिंगल राझई मध्ये मावशी मला बिलगू लागली.
मला जाग आली. मला काही तरी मउ-मउ जाणवले. मी डोळे उगडले तर मावशी एकदम मला चिटकूण होती. तिचे मोट आंबे सारके उरोज माझ्या छाती ला लागले होते. आणि माझा हात तिच्या कंबर वर होता. मला कूस बदल्या ची होती. तिला तोडे सराकवले. कूस बदलून जरा बरे वाटले. तोड्या वेळाने मावशी लागली घोर्याला. त्याने माझी झोप उडाली. मी परत कूस बदली आणि चुकुन तिच्या आंब्या वर हात ठेवून तिला हलवले व तिचे घोरणे थांबले. मी जाणवले की तिचा पदर सरकला होता नुसता ब्लाउस राहिला होता. मला मज़ा वाटली. मी परत तिच्या ब्लाउस वर हात ठेवला. तिच्या स्तणाचे फील ने मी रोमांचित झालो. मनात थोडी भीती पण होती. जरा हिंमत करत डाव्या स्तनावरून उजव्या वर हात सर्कावला. आता बाबूराव पण उसळी घेऊ लागला.
खूप महिने झाले होते अभ्यासामुळे बाबूराव कडे लक्ष्य दिले नव्हते. पण जो प्रकार मी सुरू केला होता बाबूराव एकदम ताट झाला. लॉबी च्या डिम लाइट मध्ये मी मावशी कडे बघू लागलो. मला राहवले नाही आणि परत तिच्या ब्लाउस वर हात फिरवू लागलो. आचनाक मावशी ने कूस बदली, माझा हात तिच्या उजवा स्तनावर होता आणि तो एकदम तिच्या स्तनाखाली आला. दूसर्या क्षणात माझया हातावर तिचा हात आला. रोमांच आणि भीती दोन भावना ने मनात धंगा घातला. आता काय?
हळू हळू मी तिच्या स्तनावर दाब देऊ लागलो. आता माझी हिमत वडली आणि मी तिला बिलगलो . जसा तिला बिलगलो , खाली मला तिचा नितम्ब चा फील येऊ लागला. बाबूराव एकदम उभा. मला राहवले नाही, आणि मी माझा उजवा पाय तिच्या उजवा मांडी वर टाकला. दुसर्या क्षणानत माझी कंबर उचली आणि तिच्या नितम्ब वर तेव्हली. जे फील आला त्याने माझा अंगात एक जोश संचारला. आता मला कसले ही भान नव्हते की हॉल आणि बेडरूम मध्ये लोक झोपली आहेत. मी कमारेतून तिच्या नितम्ब वर जोरात झटका दिला, त्याचवेळी उजवा हाताने तिचे स्त्न डाबलेय आणि मोकळा डावा हातने तिची कंबर उचली. बाबूराव एकदम मग्न झाला. आणि मला एक अनोकी शक्ति संचारित झाल्याचा फील आला.
मावशी एकदम जागी झाले. तिने डोळे उगडले आन् मला जोरात झटका देऊन माझा हात बाजूला केला आणि मला भिंतीकडे ढकले. ती उठली पदर सावरला व पाया वर साडी ओडलि. इकडे तिकडे कानुसा घेतला. माझया कडे पहिले आणि माझया कणखाली लावली. मी स्तभ होतो. राझई अंगावेर् घेतली आणि पडली परत विरूढ दिशेत तोंड करून. मी घाबरलो, वाटले की उद्या सगळ्यां समोर आपला दिवाला निघतो. भिंतीकडे तोंड केले आणि पडलो. झोपल कसली काय, मी उद्या सकाळी होणारे गोष्टी चे वेद लागले.
बराच वेळ गेला. टेन्षन ने मला घाम फुटला. कूस बदलण्याची मला हिमात झाली नाही. डिम लाइट च्या प्रकाशात मे भितीकडे बघत राहिलो. अचानक मावशी ने माझया खांद्या वर हात तेव्हला. तिने मला कूस बदल्या लावली आणि मंद प्रकाशात बघू लागली. मी घाबरलो आणि सॉरी बोलो. तिने मला शुश केले. मी जरा चक्रावलो. तिने माझा उजवा हात घेतला आणि तो तिने तिच्या नितम्ब वर ठेवला. आणि मला खाली ड्कले. मी गांगारलो. एकदम तिने माझे डोके तिच्या स्तनामध्ये ठेवले. तिच्या स्तना मध्ये प्रवेश करता मला स्वर्ग प्राप्ती चा अनुभव झाला. पण मला कुठे माहित हे तर स्वर्गीय सुखाचे सुरवात आहे.
मी क्षणांचा विचार न करता, तिच्या ब्लाउस वर जीभ फिरू लागलो. उजवा हाताने नितम्ब दाबु लागलो. डाव्या हाताने तिची मकमली कंबर जोरात दाबली. मवसीने हळूच फुंकर दिली. मला वाटू लागले ती पण कामातुर झाली. मी तिच्या वक्ष स्थाळहून तोंड काडले आणि तिच्या ओट चे चुंबन घेण्याचे प्रयत्ने केले. पण तिने मला विरोध केला, मी परत प्रयत्ने केले. असफल होऊन मी आदिक उत्तेजित झालो , थोडा जोर लावले आणि तिला पाठीवर पाडले. परत चुंबन घ्याचा प्रयत्न केला. तिने परत मला माघे डकले. मी माझा मोर्चा आता स्तनावर वळवला. उजवा हात नितम्बवरून ब्लाउस वर ठेवला आणि डावा हाताने कंबर भवती माझी पकड आदिक घट केली. उजवा मांडीने तिचे पाय पकडले.
ह्यावेळी सोमयपणे तिचे स्तना दाबू लागलो. तिचे ब्लाउस हुक एक हाती कडण्याच प्रयत्ने केला. मावसी ने जास्त विरोध न करता तिने अलगद पणे हुक कडले आणि ते स्तन मुक्त झाले. आता मी तिचे ब्रा वर करून जोरात दाबू लागलो. जोर इतका वदला की तिने मला जोरात भिंतीकडेह डकले. ती उठली परत आजू बाजू चा कानुसा घेतला, रझाई अंगावर ओडली. मी दोन क्षण श्वास घेतला आणि मग माझे मुख तिचा स्तनाच्या निपल वर लावले आणि स्तन-पान करू लागलो.
स्तनपान नंतेर मी माझी शॉर्ट्स कडली आणि तरवले की आता पुछीची सवारी कार्याची. थोडे वेळ मी मावसीला आलिंगन देऊन पडून राहिलो. बाबुराव आदीच उसळ्या मारत होता, तो एकदम कडक लंड झाला होता. मावशीला मी आता डाव्या अंगा वर केले. तिचा विरोध मावळा होता. हळूच उजवय हाताने तिची साडी फेडण्याचा प्रयत्ना केला, पण परत तिने हात माझा धरला. मी थांबलो, जास्त जबरदस्ती करता एक हाताने स्तन दाबू लागलो आणि माझा लंड तीचया नितम्बवर रगडु लागलो. आता तर मी अंडरवेर पण काडली. ह्यावेळी तिला खाली परकर मध्ये हात घातला आणि साडी वर ओडली. तिची पुढची हालचाल आधी मी माझा लावडा तिच्या गांडीच्या पॅंटी वर ठेवला आणि मागून जोरात मिठी मारली.
आता मावशी चांगलीच माझ्या पकड मध्ये होते. हळू-हळू माझा लावडा मी तिचया पॅंटी वर घासू लागला. आता रागड्याचा स्पीड वाडलआ. आता मी कंबरणे तिच्या गांडि वर धक्के देऊ लागलो. काय तो फील!!!. एक हाताने दाबतोय आणि खाली लावड्याने धक्के देतोय. आवेश इतका वाढला की मावशीच्या पॅंटी वर विर्यची पिचकारी मारली. क्षणात तीच गांड झाली वीर्याने ओली झाली. मावशी आणि मी दोघानी मोठ्याने श्वास घेउ लागलो. थोडा वेळ शांत पडलो. तिने अलगद ची ओली पॅंटी काडली.
मावशी सरळ झोपली, तिला डोळा लागू लागला. मीपण शांत राहिलो. अवतीभवतीचा कानोसा घेतला , हळूच रझाई खाली सरकवली आणि तिच्या स्तनचे दर्शन घेतले. एकदा अलगद कुरवाले. वेळचा काही पता लागत नव्हता. मला काय झोप लागत नव्हती. बाबुराव पण शांत होता. लक्ष्यात आले की पुछी आणि चुंबन घ्याचे राहिले की. ह्या विचारणे बाबुराव उसळी मारू लागला परत.
ह्या वेळी मी जरा थांबलो , मावशी परत घोरु लागली. हळूच परत तिची साडी वर करू लागो. ह्या वेळी प्रयास सोपे होते. साडी कंबर वर आली. हाताने मांडी व पुछीचा अंदाज घेतला. परत थांबलो, आता तिचे पाय हळू हळू फाकू लागलो. योनी-मुख वर हात फिरवू लागलो. काय ते केस ही केस. !! जंगल मध्ये बोट घातले. ठरवले की डाइरेक्ट सवारी करायची. पाय चांगले फाकले होते. मी उठलो हॉल आणि बेडरूमच्या दिशयात पाहिले. ऑल क्लियर !!! अलगदपणे मी मावशीच्या दोन्ही पायात शिरलो आणि माझे लिंग तिच्या योनी मार्गा वर ठेवले. तिला माझे वजन जाणवले. दमल्यामुळे आणि डोळ्यावरची झोपमुळे तिने प्रतिकार केला नाही. दोन्ही हात पाठीवर टाकले. वेळ न घालवता मी डाव्या हाताने माझा लंड तिचा पुछित गुसवला. अद्भुत अनुभव होता तोह. पण तोह पुढे जात नव्हता. इतक्यात उजवा आणि डावा कंबर वर ठेवला आणि एक जोरात dhakka.... आई ..ग .. मावशी ने ..करवली.. मी इकडेतिकडे पाहिले , पटकन चुंबन दिले. दुसरा धक्का द्याचा आधी .. मी लगेच तिच्या दोन्ही मनगट पकडले. माझे तोंड तिच्या तोंडात लॉक केले. दुसरा धक्का... उम्म्म्ह !!! उम्म्ह्ह! उम्ह्ह !!! धक्का वर धक्का...!! आणि मी पण तिच्या पुछिमध्ये विर्याची एक पिचकारी सोडली. आता मी तिचे मनगट सोडले. लगेच तिच्या अंगावरून सरकलो. तिच्यामध्ये शक्ती नव्हते ... तिचा परकर खाली केला.. मोठे श्वास घेत होतो. लंड आजून ताट होता. मावशी शक्तीहीन पडली होती, तिला तिचा डाव्या अंगावर केले आणि तिची साडीवर केली. तिची मांडी सरकवली माझा लंड तिच्या मागून पुछित घातला. आई ग ...करताच मी उजव्या हाताने तिचे तोंड दाबले. ..उम्म्ह !! उम्म्ह !!! उम्म्ह !!..डावा हात कमरे खालून जोरात तिचे स्तन दाबू लागलो आणि मघुन धक्के. शेवटी मी जोर लावून तिच्या गंडी धक्का दिला.... मावशी एकदम हलकी झाली...ह्ह्ह!! ह्ह्ह!! करत दोघे श्वास घेऊ लागलो मी तिला एक चुंबन दिले. आणि दोघे झोपी गेलो.
दुसर्या दिवशी सगळ्याने नसता केला. कालचा प्रकार डोक्यात घोळत होता... माझे लक्ष मावशी काय बोलते. तिने आई आणि मला बाजूला घेतले. आईला बोली की, "रोहित फार स्ट्रेस मधेय आहे, त्याला रिलॅक्स होण्याची गरज आहे. पुडच्या वीक मधे त्याची IIT सक्रीनिंग आहे. तू त्याला माझ्या कडेह पटव." आई ने एक क्षणात होकार दिला. नंतर तिने मला एकट्याला रूम मधे बोलवले. माझ्या कडे बगत एक खणाखाली दिली. चित्रा मावशी बोली, " रोहित, मी समजू शकतेय, ह्या व्यात आकर्षण असतेय. पण सध्या तुला कॅरियर म्हत्वाचे आहे. लक्ष विचिलित होऊन चालनेर . तू कॅरियर कर , आणि लाइफमधेय तुला खूप सेक्स चे मोक्के मिळतील. पण कॅरियर चान्स एकदाच. तू माझ्या कडे चल. मी लक्ष देणार जातीपूरक की तू फक्त अभ्यास करणार." असे बोलून तिने मला मिठी मारली.

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